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Development of Computer in Hindi – कम्प्यूटर का विकास


Development of Computer in Hindi – कम्प्यूटर का विकास

 

 

 

Development of Computer- कम्प्यूटर का विकास अनेक चरणों एवं कई वर्षों में हुआ। जब से मनुष्य ने गिनना सीखा है तभी से उसका प्रयास रहा है कि गणना (count) करने में सहायता करने वाले यंत्रों का निर्माण किया जाए जिससे कि easily किसी भी प्रकार के जोड़, घटाव आदि कार्यों को किया जा सके। आदिकाल में मनुष्य अपने जानवरों की गिनती करने के लिए पत्थरों का प्रयोग करते थे। इसके बाद अपनी अँगुलियों की सहायता से गिनती करना सीखा ,परन्तु इस प्रकार से केवल साधारण जोड़ ही सम्भव था। कम्प्यूटर निर्माण की अवधारणा के पीछे मुख्य उद्देश्य एक ऐसी मशीन का आविष्कार करना था जो शुद्धता व अत्यधिक तीव्र गति से विभिन्न प्रकार की गणनाएँ कर सके।

Development of Computer- कम्प्यूटर के विकास के इतिहास में कई यंत्रो का निर्माण हुआ। उसमें से कुछ का विवरण निम्नलिखित है –  

1. अबेकस (Abacus) :  इसका आविष्कार चीन में हुआ। कम्प्यूटर विकास के इस क्रम में , गणना करने के उद्देश्य से अबेकस सबसे पहला यंत्र है। यह लकड़ी से बने हुए फ्रेम (frame) होते हैं , जिसमें लोहे की छड़ (rods) में  मोती (beads) पिरोये रहते हैं। इसको मुख्यतः दो भागों में विभाजित होते हैं , जहाँ इसके ऊपरी भाग (upper part ) में दो तथा (lower part) में पाँच bead लगे रहते हैं। ऊपरी भाग को हैवेन (Heaven) तथा निचले भाग को अर्थ (Earth) कहते हैं। छड़ में लगे beads को खिसकाकर गणनाएँ की जाती हैं।इसकी मदद से गुणा , भाग , जोड़ , घटाव जैसी साधारण क्रियाएँ की जाती हैं। 

2. नेपियर बोन्स (Napier’s Bones ) :  इसका आविष्कार स्कॉटलैण्ड (Scotland) के गणितिज्ञ (mathematician)  जॉन नेपियर (John Napier) ने सन् 1617 में किया। इसमें गुणा करने के लिए छड़ो (sticks) का प्रयोग किया गया , जोकि हड्डी (bones) की बनी होती थी। इसीलिए इसे नेपियर बोन्स कहा गया। इसमें 11 छड़ो का प्रयोग किया जाता था।  इन छड़ों पर संख्याओं को लिखा था तथा छड़ों को इस क्रम में रखा जाता की संख्याओं का गुणा आसानी से किया जा सके। 

3. पास्कलाइन (Pascaline) : सन् 1645 में फ्रांस के गणितिज्ञ ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) ने एक यांत्रिक (Mechanical) अंकीय (Numerical) गणना यंत्र विकसित किया। इसे एडिंग मशीन (Adding Machine) भी कहा जाता है। क्योंकि यह केवल जोड़ने या घटाने का कार्य कर सकती थी। यह मशीन घडी (Watch) और ओडोमीटर (Odometer) के सिद्धांत पर कार्य करती थी। इसमें कई दाँतयुक्त चक्कर (toothed wheels)     थीं ,घूमती रहती थी। इन पर 0 से 9 तक के numbers रहते थे, प्रत्येक चकरी का एक स्थानीय मान था।

4. जैकार्ड लूम (Jacquard ‘s  Loom) : सन् 1801 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक जैकार्ड (Jacquard) ने बुनकरों (Weaver) के लिए एक ऐसे यंत्र का आविष्कार किया जिसने उनके कार्य को सरल बना दिया। इस लूम में छिद्र युक्त (porous) कार्ड-बोर्ड के टुकड़ों का प्रयोग किया गया , जिन्हें पंचकार्ड कहा गया है। पंचकार्ड एक साधारण कार्ड की तरह होता है जिसमे कॉलम (column) तथा लाइन बनी होती हैं। इनमे ही छेद (hole) किया जाता है। इसका प्रयोग आगे चलकर कम्प्यूटर में गणना करने के लिए किया गया। 

5. चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) की मशीन : सन् 1822 में इंग्लैंड के वैज्ञानिक सर चार्ल्स बैबेज (Sir Charles Babbage) ने एक मशीन का आविष्कार किया जिसे डिफरेंस इंजन (Difference Engine) का नाम दिया गया। जिसके द्वारा counting सरलता से की जा सकती थीं। यह डिफरेंस इंजन बड़ी-बड़ी संख्याओं के वर्ग , घन व अन्य घातों तथा गणितीय सारणियों (mathematical table) की गणना करने में सक्षम था। इसके बाद चार्ल्स बैबेज ने वैश्लेषिक इंजन (Analytical Engine) का आविष्कार किया। इस इंजन के प्रमुख चार भाग थे – input , output , arithmetic तथा memory। इसी कारण चार्ल्स बैबेज को कम्प्यूटर का जनक (Father of Computer) भी कहा जाता है।   

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